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वाह्ह्ह...बहुत ही बेहतरीन...सहज व सरल हृदय तथा असाधारण व्यक्तित्व के धनी
अनमोल सर की ग़ज़लें समाज में व्याप्त कुरुतियों पर कुठाराघात करती हुई नज़र आती
हैं तथा समाज को दिशा-निर्देशित भी करती हैं.....! बधाई सर आपको आपकी बेह्तरीन
रचनाओं के लिए.. साथ ही साथ आपका बहुत -बहुत आभार भी जो ये रचनाएँ आप हम लोगों
तक पहुचाये..!
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आप सभी साहेबान, जिन्होंने इस एप्प को अपना प्यार दिया...उन सभी का बड़े अहतराम के साथ दिली शुक्रिया
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ये अभी इंस्टॉल होता हय मगर एप खुलता नही , ठीक करें शुक्रिया
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